Thursday, February 12, 2009

लालची बुढिया !!

किसी गावं में एक सास और बहू रहती थी . सास बहुत दुस्ट थी और अपने बहू को बहुत सताती थी . बहू बेचारी सीधी साधी सास के अत्याचारों को सहती रहती थी . एक दिन तीज का त्यौहार था बहू अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ब्रत थी . मुहल्ले की सभी औरते अच्छे अच्छे पकवान बना रही थी . नए नए कपड़े पहन कर और सज सवार कर मन्दिर जाने की तैयारी कर रही थी .


पर सास ने अपनी बहू से कहा - अरे कलमुही तू बैठे बैठे यहाँ क्या कर रही है जा खेत में मक्का लगा है , कौवे और तोते फसल नस्ट कर रहे है जा कर उन्हें उडा. बहू ने कहा माँ आज मेरा ब्रत है मै तो पूजा की तैयारी कर रही थी, आज मुझे मन्दिर जाना है . सास ने कहा - तू सज सज सवर कर मन्दिर जा कर क्या करेगी, कौन सा जग जित लेगी , बहू को गालिया देने लगी .


बहू बेचारी क्या करती मन मार कर जाना पड़ा लेकिन उसे रोना आ रहा था उसकी आँखे भर आई , वह और औरतों को मन्दिर जाते देख रही थी , औरतें मंगल गीत गा रही थी . उसके सब अरमान पलकों से टपक रहे थे . वह आज सजना चाहती थी , अपने पति के नाम की चुडिया पहनना चाहती थी , माग में अपने पति के नाम का सिंदूर लगाना चाहती थी और वह साड़ी पहनना चाहती थी जो उसके पति ने उसे अपनी पहली कमाई पर दिया था, आज उसके लिए मंगल कामना इश्वर के चरणों में जा कर करना चाहती थी . वह अन्दर ही अन्दर रो रही थी और खेत की तरफ़ जा रही थी , खेत पर पंहुच कर , को - कागा - को , यहाँ ना आ , मेरा ना खा - कही और जा जा कहती जा रही थी .


उसी समय पृथिवी पर शंकर और पार्वती जी भ्र्मद करने निकले थे , पार्वती जी को बहू का रोना देख कर ह्रयद भर आया और उन्होंने शिव जी से कहा की नाथ देखिये तो कोई अबला नारी रो रही है . रूप बदल कर शंकर और पार्वती जी बहू के पास पंहुचे और पूछा की बेटी क्या बात है ? क्यू रो रही हो ? क्या कस्ट है तुम्हे तो वह बोली की मै अपनी किस्मत पर रो रही हूँ . आज तीज का ब्रत है गाव की सारी औरते पूजा पाठ कर रही है और मेरी सास ने मुझे यहाँ कौवे उड़ने के लिए भेज दिया है और मै अभागी यहाँ कौवे उडा रही हूँ . भोले बाबा को बहू पर दया आ गई उन्होंने बहू को ढेर सारे गहने और चंडी और सोने के सिक्के दे कर कर कहा की तुम धर जाओ और अपनी पूजा करो , मै तुम्हरे खेत की देख भाल करूँगा .जब बहू धर पहुँची तो बहू के पास इतना धन देख कर आश्चय चकित रह गई . बहू ने सारी बात सास को बता दी . सास बहू से अच्छे से बोली अच्छा तू जा कर पूजा कर ले और अगले साल मै जाउंगी खेत की रखवाली करने जाउनी .


अगले साल जब तीज आई बुढिया तैयार हो कर खेत पर पहुँच गई और खूब तेज तेज रोने लगी , ठीक उसी समय शंकर और पार्वती उधर से गुजर रहे थे और उन्होंने ने पूछा की क्या बात है तो उस बुढिया ने बताया की मेरी बहू मुझे बहुत परेशान करती है और उसने आज भी उसने मुझे खेत की रखवाली के लिए भेज दिया जबकि आज मेरा ब्रत है . भगवान शंकर उस बुढिया को समझ गए और उन्होंने ने कहा तुम घर जाओ , तो बुढिया ने कहा की आपने मुझे कुछ दिया नही तो भोले बाबा ने कहा की धर जाओ तुम्हे मिल जायेगा . जब वह घर पहुची तो उसके पुरे शरीर में छाले पड़ गए . बुढिया बहू को गलिया देने लगी . बहू ने पूछा तो बुढिया ने पुरी कहानी बताई , तब बहू ने कहा की भगवान हमेशा सरल, सच्चे और भोले भाले लोगों की ही सहायता करते है , लालची लोगो की नही .